गिलोय के फायदे और नुकसान | Giloy Ke Fayde in Hindi
जब बात आती है बीमारियों से रक्षा करने वाली औषधियों की तो इनमें सबसे पहले गिलोय का ही नाम आता है। कोरोना वायरस के बाद गिलोय का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने लगा है। यह वायरस को खत्म कर इम्युनिटी को बढ़ाने वाली होती है। सिर्फ इतना ही नहीं इसके और भी कई सारे फायदे है।
गिलोय क्या है (What is Giloy?)
गिलोय एक तरह की जंगली झाड़ी है जो अन्य पेड़ों पर उगती है। जिस पेड़ पर भी यह उगती है या चढ़ती है उस पेड़ के गुण भी इसमें मिल जाते है। यह भारत में हर राज्य में आसानी से मिल जाती है लेकिन चीन, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी गिलोय पायी जाती है।
आयुर्वेद में इस जड़ीबूटी का इस्तेमाल वर्षों से किया जा रहा है। इसके तने को सबसे ज्यादा उपयोगी माना जाता है। इसकी लताएं कभी नहीं सूखती है। रस्सी जैसा दिखने वाला इसका तना बहुत ही कोमल होता है। गिलोय के फूल हरे और पीले रंग के होते है। इसे गुडुची और अमृता भी कहा जाता है। संस्कृत में "गुडुची" का मतलब होता है जो पूरे शरीर की रक्षा करता है और "अमृता" का मतलब अमरता से है।
गिलोय के फायदे (Giloy Benefits)
गिलोय से विभिन्न तरह के स्वास्थ्य लाभ होते है। यह कई तरह के रोगों को शरीर से दूर रखने में सहायक है। जानते है इससे मिलने वाले फायदों के बारे में।
1) इम्युनिटी बूस्टर -
यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला होता है। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय का उपयोग करना फायदेमंद होता है। मार्केट में इम्यूनिटी बढ़ाने की बहुत सी दवाएं मिलती है लेकिन गिलोय सबसे अच्छा और सस्ता होने के साथ ही नेचुरल उपाय है।
2) पीलिया के रोग में -
पीलिया रोग में गिलोय जूस के फायदे होते है। पिलिया के मरीज को गिलोय के पत्तों का रस पिलाना लाभकारी होता है। इसकी पत्तियों को तोड़कर इसे पीस लें और इसे छानकर इसके रस का सेवन करे। इससे पीलिया में आए बुखार और दर्द से राहत मिलती है।
3) एसिडिटी -
जिन लोगों को अक्सर एसिडिटी बनी रहती है उन्हें गिलोय का सेवन करना चाहिए। इससे एसिडिटी की समस्या में आराम मिलता है। गिलोय के रस का गुड़ और मिश्री के साथ सेवन करे। शहद के साथ भी इसका सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।
4) डेंगू से करे बचाव -
पहले डेंगू के उपचार में गिलोय का उपयोग किया जाता था। गिलोय में एंटीपायरेटिक तत्व होते है जो बुखार के मरीज के लिए बहुत फायदा करते है। इसके सेवन के लिए गिलोय का हरा तना लें। सबसे पहले इसे धोएं अब एक बर्तन लें। इसमें २ ग्लास पानी डालकर गिलोय के हरे तने को उबाले। पानी का रंग जब तक हरा ना हो जाए तब तक पानी को उबालें। अब इस पानी को छान लें फिर इसका सेवन कर सकते है।
5) कान की बीमारी में -
कान में जमा मैल, कान दर्द या कान की किसी भी तरह की बिमारी में फायदा पहुँचाने के लिए गिलोय का उपयोग किया जाता है। गिलोय के तने को पानी में घिसे जो रस निकले उसे गुनगुना कर लें। इसकी कान में २ बून्द दिन में दो बार डालें। लेकिन इसका उपयोग करने के पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
6) आँखों के रोग में -
आँखों में चुभन होना, आँखों के सामने अँधेरा छा जाना, काला तथा सफेद मोतियाबिंद के रोग से गिलोय राहत दिलाने में बहुत मदद करता है। १० मिली गिलोय के रस में १ ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाएं मिलाकर इसे खरल में पीस लें। काजल की तरह आप इसे आँखों में लगाएं।
7) खून की कमी दूर करने में सहायक -
शरीर में खून की कमी को दूर करता है। गिलोय में टीनोस्पोरिन, पामेरिन, ग्लूकोसाइड टीनोस्पोरिक एसिड अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो खून को बढ़ाने में मदद करते है। इसके लिए गिलोय के हरे डंठल का जूस बनाकर पिएं। जो एनीमिया से पीड़ित है उन्हें गिलोय का सेवन जरूर करना चाहिए।
8) अस्थमा के रोगियों के लिए -
गिलोय में पाएं जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व सांसों की समस्याओं को खत्म करते है। यह फेंफड़े को स्वस्थ बनाये रखता है। यह कफ को भी खत्म कर देता है। अस्थमा के मरीजों को गिलोय के सुखे डंठल का सेवन करना चाहिए।
9) पाचन सही करे -
बहुत से लोगों को पाचन संबंधित समस्याएं होती है जैसे : गैस, कब्ज, पेट फूलने की समस्या, एसिडिटी तो गिलोय इन समस्याओं को खत्म करता है। गिलोय का तना पाचन सुधारने के काम आता है। अगर आपका पाचन तंत्र भी कमजोर है तो गिलोय का चूर्ण आधा ग्राम लें। इसे आंवले के साथ लेना फायदेमंद होता है। कब्ज ठीक करने के लिए गुड़ के साथ इसका सेवन कर सकते है।
10) अर्थराइटिस -
गिलोय अर्थराइटिस के लक्षणों को दूर करता है। इसमें पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी अर्थराइटिक गुण अर्थराइटिस की समस्या से निजात दिलाता है। इसके लिए गिलोय पाउडर को दूध में उबालकर पीने से लाभ होता है।
11) स्किन एलर्जी में -
जिन लोगों को त्वचा से जुड़ी परेशानियां है जैसे हाथ-पैर में जलन, खुजली या शरीर के किसी भी हिस्से में एलर्जी हो तो गिलोय का सेवन करना लाभदायक होता है। गिलोय की पत्तियों का पेस्ट बनाकर भी उसे स्किन पर लगाने से आराम मिलता है।
12) टीबी रोग में फायदेमंद -
टीबी रोग के मरीजों के लिए गिलोय का सेवन करना लाभकारी होता है इसके लिए आपको एक काढ़ा तैयार करना होगा। शतावर, अश्वगंधा, गिलोय, अडूसा, पोहकरमूल, दशमूल, अतीस को समान मात्रा में लें और इसका काढ़ा बना लें। २० - ३० मिली काढ़े का सुबह-शाम सेवन करे इससे टीबी की बीमारी में लाभ होता है।
गिलोय के नुकसान (Side Effects of Giloy)
जब तक आप गिलोय के प्रोडक्ट पर दिए गए लेबल के निर्देशानुसार इसका सेवन करते है तब तक स्वस्थ लोगों को इससे कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन कुछ लोगों के लिए यह नुकसान का कारण बन सकती है।
1) अगर आपको ऑटोइम्यून बीमारी है जैसे : ल्यूपस, रुमेटीइड गठिया, क्रोहन रोग तो इससे समस्या हो सकती है।
2) यह रक्त शर्करा को कम करता है इसलिए अगर आप ग्लूकोज कम करने के लिए गिलोय की दवाएं ले रहे है तो इस बात का ध्यान रखे की इससे निम्न रक्त शर्करा प्रतिक्रिया हो सकती है। कम मधुमेह के लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए।
3) प्रेग्नेंसी में भी इसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
4) स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
गिलोय का प्रयोग कैसे करें (How to Use Giloy)
आपको स्टोर्स पर गिलोय सप्लीमेंट्स मिल जाएंगे जैसे गोली या कैप्सूल इसे भी आप खरीद सकते है। गिलोय पाउडर या टिंचर के रूप में भी ले सकते हैं। त्वचा के लिए क्रीम या लोशन का प्रयोग कर सकते है। गिलोय जूस का भी आप प्रयोग कर सकते है। लेबल पर दिए निर्देशों के अनुसार ही गिलोय का प्रयोग करे।
गिलोय के सेवन की मात्रा (Giloy Dosage)
गिलोय का रस - २० मिली
गिलोय का काढ़ा - २०-३० मिली
इसका इस्तेमाल करने के लिए इसके सेवन की मात्रा का डॉक्टर से भी पूछ सकते है।
निष्कर्ष :
गिलोय मनुष्य के लिए एक वरदान है। जो इतनी बिमारियों से हमारी रक्षा करती है। आप भी गिलोय का सेवन करके रोगमुक्त हो सकते है लेकिन किसी बीमारी में डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करे।