पीसीओडी महिला के हार्मोन्स को प्रभावित करने वाली स्थिति होती है। हार्मोन्स का असंतुलन महिलाओं में कई तरह की परेशानियाँ पैदा करता है। जिसकी वजह से उनकी जीवनशैली कठिन हो जाती है और उन्हें बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मासिक धर्म अनियमित हो जाते है, गर्भवती होना मुश्किल हो जाता है। समय पर पीसीओडी के लक्षण को जान लेना इसके अत्यधिक दुष्प्रभाव से बचा लेते है।
पीसीओडी क्या होता है - What Is PCOD in HIndi
प्रत्येक महिला में दो अंडाशय होते हैं। जो हर माह बारी-बारी से एक अंडा छोड़ते हैं। यह अंडाशय कम मात्रा में एण्ड्रोजन जो पुरुष हार्मोन होता है उसका उत्पादन करते हैं। यह हार्मोन महिलाओं में कम होता है पीसीओडी में अंडाशय बहुत सारे अपरिपक्व अंडे छोड़ते हैं जो अंततः सिस्ट में बदल जाते हैं।
इस स्थिति में, अंडाशय बढ़े हुए हो जाते हैं और बड़ी मात्रा में एण्ड्रोजन का स्राव करते हैं। जब यह महिलाओं में ज्यादा मात्रा में बढ़ने लगता है तो पीसीओडी होने लगता है।
पीसीओडी एक महिला के अंडाशय को प्रभावित करता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम अंडाशय में बनते हैं। यह सिस्ट की तरह होता है लेकिन कुछ महिलाओं में सिस्ट नहीं होते हैं। यह समस्या महिलाओं क प्रसव के वर्षों (१५ से ४४ वर्ष की आयु) के दौरान प्रभावित करती है।
जब एक अंडाशय से एक परिपक्व अंडा निकलता है। ऐसा इसलिए तब ओव्यूलेशन होता है, इसे पुरुष शुक्राणु द्वारा निषेचित किया जा सकता है। अगर अंडे का निषेचन नहीं किया जा सकता तो यह मासिक धर्म के दौरान शरीर से बाहर कर दिया जाता है।
ओव्यूलेट करने के लिए महिलाएं आवश्यक पर्याप्त हार्मोन नहीं बनाती है। ओव्यूलेशन नहीं होने के उपरांत अंडाशय में छोटे सिस्ट बन सकते है। इन सिस्ट के द्वारा एण्ड्रोजन हार्मोन का विकास होता है तो जिन महिलाओं को पीसीओडी है उनमें एण्ड्रोजन स्तर ज्यादा होता है। अगर कोई महिला अतिरिक्त पुरुष हार्मोन से ग्रसित है तो उनका मासिक धर्म चक्र बाधित हो सकता है।
पीसीओडी समस्या के लक्षण - Pcod Problem Symptoms in Hindi
पीसीओडी समस्या के लक्षण अलग-अलग होते हैं। आगे बताये गए लक्षणों में से आपको भी कोई लक्षण महसूस हो रहा है तो सावधान हो जाये।
१. मुँहासे या तैलीय त्वचा
पुरुष हार्मोन महिला की त्वचा को सामान्य से अधिक तैलीय बना सकते हैं। इसके साथ ही मुहांसे, चेहरे, छाती और पीठ के ऊपरी हिस्से में ब्रेकआउट हो जाते है।
२. भारी रक्तस्राव
गर्भाशय की परत ज्यादा समय तक नहीं बनी रहती है। जिससे की मासिक धर्म सामान्य से अधिक भारी हो सकते हैं और रक्तस्राव ज्यादा होता है।
३. भार बढ़ना
इस बीमारी से ग्रसित ८० % महिलाओं का वजन बढ़ जाता है या वो मोटापे की शिकार होती है। ख़ास कर की पेट के आसपास का मोटापा बढ़ता है।
४. अतिरिक्त एण्ड्रोजन
पुरुष हार्मोन के बढ़ने पर शारीरिक लक्षण हो सकते हैं। जैसे: चेहरे और शरीर पर अतिरिक्त बाल (हिर्सुटिज़्म), पुरुष-पैटर्न गंजापन भी होने लगता है।
५. अनियमित पीरियड्स
ओव्यूलेशन की कमी की वजह से हर महीने गर्भाशय की परत बहने से रुक जाती है। जिससे की महिलाओं को साल में आठ बार से कम पीरियड्स आते हैं या बिल्कुल भी नहीं आते। यह अंडे की परिपक्वता में असामान्यता के कारण होता है। जो अनियमित पीरियड्स या मासिक धर्म में देरी का कारण बनता है।
६. सिरदर्द
आपने अक्सर देखा होगा महिलाओं में लगातार सिरदर्द बना रहता है। लेकिन हम इसे आम समझकर इस पर ध्यान नहीं देते है। पर यह भी पीसीओडी का एक मुख्य लक्षण होता है। तो कभी भी आपको सिरदर्द हो और अगर यह लगातार बना हुआ है या हर थोड़े दिनों में होता है तो डॉक्टर से अपना इलाज जरूर करवाएं।
७. गर्भवती होने में कठिनाई
अनियमित और विलंबित या असफल ओव्यूलेशन के कारण महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में कठिनाई होने लगती है। हार्मोन का असामान्य स्तर रोम को परिपक्व होने और अंडे को छोड़ने से रोकता है। जिसकी वजह से ओव्यूलेशन में देरी होती है। इसके कारण मासिक धर्म बहुत प्रभावित होता है। बहुत सी महिलाओं को तो पीसीओडी का पता तब चलता है जब वह गर्भवती होने प्रयासों में असफल हो जाती हैं और डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाती हैं।
८. पॉलिसिस्टिक अंडाशय
अंडाशय बढ़े हुए हो सकते हैं और उनमें अंडे के चारों ओर रोम होते हैं। जिसके परिणामस्वरूप अंडाशय नियमित रूप से कार्य करने में विफल हो सकते हैं।
९. उच्च रक्तचाप
रक्तचाप उच्च हो जाता है अचानक ही शरीर में ब्लड प्रेशर तेज हो जाता है। अधिकतर महिलाओं को यह समस्या होती है।
१०. मधुमेह मेलिटस (उच्च रक्त शर्करा का स्तर)
इसकी वजह से शुगर की बीमारी हो जाती है। शुगर होना भी पीसीओडी का एक लक्षण हो सकता है।
११. धब्बे होना
गर्दन के पीछे, स्तनों के नीचे, बगल में गहरे या मोटे त्वचा के धब्बे हो जाते है।
पीसीओडी उपचार - PCOD Treatment
पीसीओडी का अभी ऐसा कोई इलाज निर्धारित नहीं किया है। लेकिन जीवनशैली में परिवर्तन करके इससे निजात पा सकते है। बहु-विषयक उपचार दृष्टिकोण का पालन करे जैसे : आहार विशेषज्ञ, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बांझपन विशेषज्ञ, त्वचा विशेषज्ञ शामिल होते है।
इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए आपको वजन नियंत्रित करना होगा। वजन में कमी करके आप इस बीमारी के इलाज में ५% मदद कर सकते है। नियमित रूप से व्यायाम करना, स्वस्थ आहार का सेवन इसका इलाज करने में काफी मददगार है।
- मासिक धर्म चक्र को ठीक करने के लिए, उनकी अनियमितताओं के लिए चक्रीय हार्मोनल उपचार की दवाएं उपलब्ध हैं।
- बांझ रोगियों को फर्टिलिटी दवाएं देकर उपचार किया जाता है।
- वजन कम करके भी इसे कम किया जा सकता है।
- मुहांसो का इलाज करे।
- हिर्सुटिज़्म का लेजर उपचार।
- इंसुलिन प्रतिरोध और संतुलन हार्मोन के इलाज की दवाएं।
- बालों के विकास को कम करने के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं।
- ओव्यूलेशन प्रेरण और प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए अंडे के टूटने के लिए दवाएं।
उचित जीवनशैली में बदलाव के बिना कोई भी दवा या उपचार मदद नहीं करेगा।
निष्कर्ष :
आज कई महिलाएं पीसीओडी का शिकार हो गई है। लेकिन अपनी दिनचर्या में बदलाव करके वह इस समस्या से मुक्त हो सकती है। ऐसे बहुत से लक्षण होते है जो यह बताते है की आप पीसीओडी से ग्रस्त है तो अपनी जीवनशैली को स्वस्थ बनाये। योग और व्यायाम करें साथ ही भोजन में बदलाव करें। पोषक तत्वों से युक्त भोजन करें।